यूपी में नया लेबर कोड: श्रमिकों के लिए आधुनिक और पारदर्शी सुधार

यूपी में नया लेबर कोड: श्रमिकों के लिए आधुनिक और पारदर्शी सुधार

 New Labour Code in UP 

New Labour Code in UP 

लखनऊ: New Labour Code in UP : उत्तर प्रदेश में नया लेबर कोड लागू कर दिया गया है। प्रदेश के श्रम एवं सेवायोजन मंत्री अनिल राजभर ने बताया कि यह सुधार देश की श्रम व्यवस्था को सरल, पारदर्शी और आधुनिक बनाएगा। नई संहिताएं 21 नवंबर से पूरे देश में प्रभावी हो चुकी हैं। इसका उद्देश्य श्रमिकों को सुरक्षा, सम्मान और समयबद्ध सेवाएं सुनिश्चित करना है।

श्रम कानूनों की सरलता और पारदर्शिता

मंत्री अनिल राजभर ने कहा कि पुराने जटिल श्रम कानूनों में अब भारी सुधार किया गया है। पहले 1228 धाराएं थीं, जिन्हें घटाकर 480 किया गया है। 1436 नियमों की जगह अब केवल 351 नियम लागू होंगे। 84 रजिस्टर की जगह मात्र 8 रजिस्टर होंगे और 31 रिटर्न की जगह सिंगल रिटर्न व्यवस्था लागू होगी। इससे न केवल कंपनियों का बोझ कम होगा बल्कि प्रशासनिक प्रक्रिया भी सरल होगी।

श्रमिकों के हितों की सुरक्षा

सुधारों के तहत सभी श्रमिकों, विशेषकर युवाओं, महिलाओं और गिग वर्कर्स को स्थिरता और सुरक्षा मिलेगी। निरीक्षण प्रक्रिया को पूरी तरह ऑनलाइन किया गया है और रैंडमाइज्ड निरीक्षण से इंस्पेक्टर राज का अंत होगा। पहली बार नियमों का पालन न करने वाले नियोक्ताओं पर 50 प्रतिशत जुर्माना लागू होगा, जिससे ईज ऑफ डूइंग बिजनेस बढ़ेगा और अनावश्यक विवाद कम होंगे।

वेतन और रोजगार संबंधी सुधार

वेतन की परिभाषा एकीकृत की गई है और न्यूनतम वेतन सभी संगठित और असंगठित क्षेत्रों में लागू होगा। वेतन भुगतान की समय-सीमा अनिवार्य कर दी गई है। सेवा समाप्ति या त्यागपत्र की स्थिति में दो दिनों के भीतर सभी भुगतान सुनिश्चित होंगे। ओवरटाइम के लिए दोगुना वेतन, कटौती की अधिकतम सीमा 50 प्रतिशत और वेज-स्लिप देना अब अनिवार्य है।

गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स के लिए प्रावधान

पहली बार गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स को वैधानिक रूप से परिभाषित कर सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाया गया है। इनके लिए कल्याण कोष बनाया जाएगा, जिसमें सरकार के साथ एग्रीगेटर्स भी योगदान देंगे। फिक्स्ड टर्म कर्मचारियों को स्थायी कर्मचारियों के समान लाभ और एक वर्ष की सेवा पर ग्रेच्युटी का अधिकार मिलेगा।

श्रमिकों के लिए अतिरिक्त राहतें

  • श्रमजीवी पत्रकारों के लिए ग्रेच्युटी पात्रता अवधि तीन वर्ष कर दी गई है।

  • निजी आवास निर्माण सीमा बढ़ाकर 50 लाख की गई है।

  • 300 से अधिक कर्मचारियों वाले प्रतिष्ठानों में छंटनी या बंदी के लिए राज्य सरकार की अनुमति अनिवार्य होगी।

  • सामूहिक अवकाश को हड़ताल की परिभाषा में शामिल किया गया है।

आधुनिक और एकीकृत ढांचा

पुराने 13 कानूनों को समाप्त कर एक व्यापक और आधुनिक श्रम ढांचा तैयार किया गया है। इसमें कारखाने, बागान, खदान, पत्रकारिता, भवन निर्माण और सेवा क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए सुरक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता, कार्य घंटे और कार्यस्थल की उपयुक्तता संबंधी सभी प्रावधान शामिल हैं।

स्वास्थ्य और रोजगार संबंधी सुविधाएं

सभी प्रतिष्ठानों को अपने श्रमिकों का वार्षिक स्वास्थ्य परीक्षण कराना और रिपोर्ट उपलब्ध कराना अनिवार्य होगा। राज्य सरकार स्थानीय स्तर पर करियर केंद्र स्थापित करेगी, जहां युवाओं का डाटा संकलन, परामर्श, काउंसलिंग और रोजगार मेले आयोजित होंगे। पंजीकरण, आवेदन और पत्राचार अब पूरी तरह इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से होंगे।